अनुच्छेद जाने / ट्वीटर पर क्यों ट्रेंड कर रहा हैं आर्टीकल 30A

◆ आर्टीकल 30A क्यों हैं खास ?


◆ क्या संविधान का 'आर्टिकल 30A' विद्यालयों में गीता, पुराण, वेद पढ़ाने से रोकता है


◆ आर्टिकल 30 और 30A के बारे में क्या हैंं सच?



युवा काफिला, भोपाल-


सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भारतीय संविधान के दो अनुच्छेदों को लेकर ट्वीट वायरल हो रहे है। इसमें धर्म को केन्द्र मानकर भेदभाव का दावा किया जा रहा है।


एक फ़ेसबुक यूजर ने पोस्ट (आर्काइव लिंक) किया,


“आर्टिकल 30” मदरसों में कुरान, हदीस पढ़ाई जायेंगी ।


“आर्टिकल 30A” स्कूलों या गुरुकुलों में भागवत गीता , वेद , पुराण , ग्रंथ नहीं पढ़ाई जाएंगे ।


क्या यही है “भारत” की धार्मिक स्वतंत्रता।


इसमें बदलाव जरूरी है।


सोशल मीडिया पर यह मैसेज वायरल हो रहे हैं। 


वास्तविकता


 भारतीय संविधान के ‘भाग-3’ में भारत के नागरिकों को मिले मौलिक अधिकारों के बारे में बात करता है। इस भाग में आर्टिकल 12 से 35 तक शामिल हैं। भारतीय संविधान में ‘30A’ नाम से कोई आर्टिकल है ही नहीं। जहां तक आर्टिकल 30 की बात है, ये आर्टिकल अल्पसंख्यकों को शिक्षण संस्थानों की स्थापना और उनको चलाने के अधिकार के बारे में है।


क्या है आर्टीकल 30 - 


भारत के संविधान के आर्टीकल 30 के 30(1) में लिखा है,


"भाषा या धर्म के आधार पर जो भी अल्पसंख्यक हैं, उन्हें अपनी मान्यता के शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और उन्हें चलाने का अधिकार होगा।"


आर्टिकल 30(1A) में लिखा है,


यदि किसी अल्पसंख्यक समुदाय के द्वारा स्थापित और संचालित शिक्षण संस्थान का अधिग्रहण राज्य द्वारा ज़रूरी हो जाता है, ऐसी स्थिति में राज्य, अधिग्रहण के एवज में देने वाला मुआवजा ऐसे तय करेगी कि अल्पसंख्यकों को मिले अधिकार में रत्ती भर का भी फ़र्क न आए।


आर्टिकल 30(2) में दर्ज है,


शैक्षणिक संस्थाओं को सहायता देने के दौरान, राज्य किसी भी संस्थान के साथ इस आधार पर भेदभाव नहीं करेगा कि वो धर्म या भाषा पर आधारित किसी अल्पसंख्यक वर्ग के अधीन संचालित किया जाता है।


अल्पसंख्यक कौन-


27 जनवरी, 2014 के भारत के राजपत्र के अनुसार मुस्लिम, सिख, ईसाई, पारसी, बौद्ध और जैन धर्म के लोगों को अल्पसंख्यक समुदाय का दर्जा मिला है।


स्पष्टीकरण-


इससे स्पष्ट है कि भारत के संविधान में आर्टिकल 30(A) जैसी कोई चीज नहीं है। आर्टिकल 30 देश के अल्पसंख्यकों को अपने शिक्षण संस्थान बनाने और उनको चलाने का अधिकार देता है। संविधान में कहीं भी किसी धार्मिक ग्रंथ का नाम नहीं लिखा है। इसलिए कुरान, हदीस पढ़ाने और गीता, वेद पुराण, ग्रंथ न पढ़ाने का दावा सरासर ग़लत है।


पंथनिरपेक्ष-


भारत का संविधान ‘पंथनिरपेक्षता’ की बात करता है,अर्थात भारतीय राज्य का अपना कोई धर्म नहीं होगा, वो सभी धर्मों के साथ समान व्यवहार करेगा।


परिणाम-


जिस आर्टिकल 30A के नाम से विद्यालयों में भगवदगीता, पुराण, वेद, ग्रंथ पढ़ाने पर रोक होने का दावा किया जा रहा है, ऐसा कोई आर्टिकल भारत के संविधान में नहीं है। आर्टिकल 30 में अल्पसंख्यकों को अपना शिक्षण संस्थान स्थापित करने और उन्हें चलाने का अधिकार दिया गया है। इसमें कुरान या हदीस को लेकर कुछ नहीं लिखा गया है। ये दावा सरासर गलत हैं कि 30A भारत के संविधान में है ही नहीं और, संविधान में कहीं भी किसी धार्मिक ग्रंथ का नाम नहीं लिखा है।